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भिष्म पितामह आणि श्रीकृष्ण यांच्यात झालेला सुवर्ण संवाद

A precious dialogue between Bhishma Pitamah and Shri Krishna on Kurukshetra in Mahabharata

महाभारत युद्धामध्ये कुरुक्षेत्रावर जेंव्हा भिस्त पितामह अंतीम श्वास घेत होते तेंव्हा श्रिकृष्ण पितामह भिष्मांचे अंतिम दर्शन घेण्यासाठी येतात त्यावेळी गंगापुत्र भिष्म आणि साक्षात परमेश्वर भगवान श्रिहारी कृष्ण केशव यांच्या मधिल संवाद हा आता सुरु असलेल्या घडामोडींवर प्रकाश टाकणारा अत्यंत महत्त्वाचा ठरतोय तो कसा ते पहा 👇

पितामह भिष्म श्रिकृणास विचारतात-  हे केशव कुरुक्षेत्र के युद्ध मे जो पांडवों की ओर से किया गया कर्म धर्म के अनुरुप है या नहीं  यह मै समझ नही पाया केशव ! तनिक समझाओ तो …. !”

” राम और कृष्ण की परिस्थितियों में बहुत अंतर है पितामह  ! राम के युग में खलनायक भी ‘ रावण ‘ जैसा शिवभक्त होता था …. !!

तब रावण जैसी नकारात्मक शक्ति के परिवार में भी विभीषण, मंदोदरी, माल्यावान जैसे सन्त हुआ करते थे ….. !

तब बाली जैसे खलनायक के परिवार में भी तारा जैसी विदुषी स्त्रियाँ और अंगद जैसे सज्जन पुत्र होते थे …. !

उस युग में खलनायक भी धर्म का ज्ञान रखता था …. !! इसलिए राम ने उनके साथ कहीं छल नहीं किया …. !

किंतु मेरे युग के भाग में में कंस , जरासन्ध , दुर्योधन , दुःशासन , शकुनी , जयद्रथ जैसे घोर पापी आये हैं …. !! उनकी समाप्ति के लिए हर छल उचित है पितामह …. ! पाप का अंत आवश्यक है पितामह , वह चाहे जिस विधि से हो …. !!”

भिष्म पितामह यांचे प्रतिप्रश्न –“तो क्या तुम्हारे इन निर्णयों से गलत परम्पराएं नहीं प्रारम्भ होंगी केशव

क्या भविष्य तुम्हारे इन छलों का अनुशरण नहीं करेगा ? और यदि करेगा तो क्या यह उचित होगा .??”

” भविष्य तो इससे भी अधिक नकारात्मक आ रहा है पितामह. !  कलियुग में तो इतने से भी काम नहीं चलेगा …. !

वहाँ मनुष्य को कृष्ण से भी अधिक कठोर होना होगा …. नहीं तो धर्म समाप्त हो जाएगा …. !

तब क्रूर और अनैतिक शक्तियाँ सत्य एवं धर्म का समूल नाश करने के लिए आक्रमण कर रही हों, तो नैतिकता अर्थहीन हो जाती है पितामह …. !

तब महत्वपूर्ण होती है धर्म की विजय , केवल धर्म की विजय ! भविष्य को यह सीखना ही होगा पितामह ….. !!”

यावर भिष्म विचारता-“क्या धर्म का भी नाश हो सकता है केशव  ? और यदि धर्म का नाश होना ही है , तो क्या मनुष्य इसे रोक सकता है केशव  … ?”

केशव उवाच-“सबकुछ ईश्वर के भरोसे छोड़ कर बैठना मूर्खता होती है पितामह .

केशव मुंडे

केशव मुंडे हे अनेक वर्षापासून पत्रकारिता करत आहे. सामाजिक, शैक्षणिक राजकीय, गुन्हेगारी सह विविध विषयांवर लिखान सध्या ते वेगवान समुहाच्या वेगवान मराठी मध्ये बीड जिल्ह्यातील प्रतिनिधी म्हणून काम पाहत आहे.

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